नई दिल्ली,
बहुत बार ऐसा होता है कि जातक कुंडली की भविष्यवाणी के लिए जितने भी ज्योतिषाचार्याें से मिलता है, सब उसकी अलग अलग भविष्यवाणियां करते हैं, उदाहरण के लिए जैसे कई बार कोई कहता है कि कुंडली में राजयोग है, कोई कहता है नहीं है। कोई कहता है शत प्रतिशत सरकारी नौकरी मिलेगी, जबकि कोई कहता है बिल्कुल योग नहीं है। कोई कहता है वैवाहिक जीवन अच्छा होगा, जबकि कोई कहता है बहुत कष्टकारी, एक ही साथ एक ही जातक की कुंडली में यह दो तरह की विरोधाभाषी परिस्थितयां भला कैसे हो सकती हैं?
यह कुछ देखने में ऐसा लगता है कि एक ही बीमार व्यक्ति अलग अलग डॉक्टर्स के पाए जाए तो उसे अलग अलग दवाएं ही मिलेगी, लेकिन दवा और ज्योतिषी में फर्क, किसी भी व्यक्ति के जीवन का खाका उसी क्षण बन जाता है, जिस मूल नक्षत्र में वह जन्म लेता है, फिर ज्योतिषाचार्याें की भविष्यवाणियां अलग कैसे हो जाती हैं। इस बावत गारेंटीड एस्ट्रोलॉजर के ज्योतिषाचार्य अमरजीत सिंह कहते हैं कि सिर्फ लग्न कुंडली देखकर राशिफल बताने वालों की भविष्यवाणी अकसर ऐसी ही होती हैं, यहां समझे वाली बात यह भी है कि जैसे कोई भी वरिष्ठ वकील या डॉक्टर बिना शुल्क के केस नहीं लेते हैं, इसी प्रकार सिद्धि प्राप्त ज्योतिषाचार्य बिना दक्षिणा के कभी कुंडली नहीं बांचते। दूसरी अहम बात है कि कोई भी ज्ञानी और अनुभवी ज्योतिषाचार्य प्रश्नों का उत्तर संभावना या अनिश्चितता में नहीं देता। जैसे ऐसा हो सकता है या वैसा हो सकता है आदि, योग्य ज्योतिषाचार्य हमेशा सटीक जवाब देगा, और उसका जवाब हमेशा सही साबित होगा। तीसरी बात जैसे गणित के किसी सवाल का सिर्फ एक ही सही जवाब होगा, बाकी अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इसी प्रकार कुंडली की भविष्यवाणी एक ही सत्य होगी, अंदाजा सत्य नहीं हो सकता। सही अर्थों में ज्योतिष शास्त्र का सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए सालों की साधना चाहिए होती है, सड़क किनारे मिलने वाली किताबें, जो दो से तीन हफ्ते मे ज्योतिष बनाने की बात करती हैं, के अध्ययन के योग्य ज्योतिषाचार्य नहीं बना जा सकता। यही आधा ज्ञान गलत कुंडली बाचन कर जातक की परेशानियों का कारण बनता है।
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