ऑन लाइन क्लॉस के लिए तीन बकरियां बेच लिया स्मार्ट फोन
| 1/13/2021 9:33:17 PM

Editor :- Mini

नई दिल्ली,
कोरोना काल का कठिन समय भारतीय महिलाओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा। घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों के बाद भी महिलाओं ने सूझबूझ से काम लिया। यह वह समय था कि लघु स्तर के कारोबार बिल्कुल बंद थे तो घरों में काम करने वाले महिलाएं भी बेरोजगार हो गई थीं, जिसके कारण परिवार में आर्थिक संकट पैदा हो गया। लॉकडाउन की वजह से किस वर्ग की महिला के जीवन पर क्या असर पड़ा? इसका पता लगाने के लिए देशभर की 17 हजार महिलाओं पर सर्वेक्षण किया गया।
राष्ट्र सेविका समिति के तरूणी विभाग ने भारत की चारों दिशाओं में, समाज के हर वर्ग की महिला से बात की । 28 प्रांतों के 567 जिलों में 1200 टीनएजर्स लड़कियों ने लगभग 17000 हज़ार महिलाओं युवतियों और किशोरियों से मुलाकात की। अखिल भारतीय तरुणी प्रमुख भाग्यश्री साठे ने बताया कि 25 जून से चार जुलाई तक देश भर में व्यापक सर्वेक्षण किया गया और इस सर्वेक्षण के माध्यम से जो विश्लेषण तैयार हुआ है वह पुस्तक के रूप में संकलित किया गया है। सर्वेक्षण की पुस्तक का वर्चुअल विमोचन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानम ने कहा कि इस सर्वे ने देश के युवा वर्ग में समाज के लिए कुछ करने का भाव जागृत किया है। उन्हें समाज के दुख दर्द को अनुभव करने का अवसर मिला। कुछ परिवारों ने केवल नमक चावल खा कर गुज़ारा किया तो कुछ आदिवासी परिवारों ने पत्ते खा कर अपना पेट भरा। बच्चों की पढ़ाई चूंकि ऑन लाईन हो गयी, सबके पास न तो स्मार्ट फोन, लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं थे, यदि थे भी तो एक परिवार में अमूनन एक ही कंप्यूटर या स्मार्ट फोन था। शिक्षा को लेकर महिलाएं बहुत तनाव में आ गयीं थीं। एक परिवार ने ऑन लाइन क्लास के लिए अपनी तीन बकरियां बेच कर स्मार्ट फोन खरीदा। सर्वे में एक बात यह भी सामने आयी कि समाज का मध्यम वर्ग अब भी अपना दुख सुख किसी के सामने नहीं कहना चाहता। जबकि निचला तबका अपने आर्थिक हालात पर खुल कर चर्चा करता है । महिलाओं को जहां राशन, दवाई, किराए, कपड़े, बच्चों की फीस और परिवहन को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ा तो युवतियों को स्वास्थ्य खास कर मासिक धर्म के समय और पढ़ाई को लेकर बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ी। यह भी देखा गया कि मोटी सैलरी वालों की भी नौकरी जा सकती है इसलिए बचत की आदत डालनी चाहिए। महिलाओं ने माना कि करोना काल के समय में पूरे परिवार के साथ रहने का मौका मिला है। लोग वापस अपनी संस्कृति से जुड़े हैं। सर्वेक्षण के लिए तरूणियों की टोलियां शहरी, ग्रामीण, सेवा बस्तियों (झुग्गी झोंपड़ी बस्तियों)और वनवासी क्षेत्रों में गयीं और उनसे सवाल पूछे गए। अनेक महिलाओं ने बताया कि उनके बच्चे लॉक डॉउन में आत्मनिर्भर बने, अपना काम खुद करना सीखा, घर के काम में मदद करना, अपना कमरा साफ करना, अपने बर्तन खुद साफ करना आदि। एक मध्यम वर्गीय महिला ने तो ये भी बताया कि लॉकडाउन उनके लिए खुशियां ले कर आया। उनके पति ने शऱाब पीना बंद करके परिवार के साथ समय बिताना शुरू किया। अनेक महिलाओं ने नए कौशल सीखे जैसे मास्क बनाना, बागवानी करना आदि। राष्ट्र सेविका समिति ने सर्वेक्षण की रिपोर्ट केन्द्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी को सौंपी हैं।


Browse By Tags



Videos
Related News

Copyright © 2016 Sehat 365. All rights reserved          /         No of Visitors:- 564830