ऑर्थएलाइन नेविगेशन तकनीक से होगी घुटने की सर्जरी
| 7/23/2017 2:40:48 PM

Editor :- Deba Sahoo

नई चिकित्सा तकनीक की मदद से घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी कराने वाले मरीज अब आॅपरेषन के बाद जल्द से जल्द बिना दर्द एवं तकलीफ के चलने-फिरने तथा सक्रिय जीवन व्यतीत करने में सक्षम हो सकेंगे। आर्थोएलाइन टेक्नोलाॅजी नामक यह आधुनिक तकनीक पहली बार लखनउ में षुरू हो रही है। लखनऊ के मरीजों को यह तकनीक लखनऊ के सर्वश्रेश्ठ स्पेषियलिटी हास्पिटलों में षामिल रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हाॅस्पिटल उपलब्ध करा रहा है। इस तकनीक की मदद से कृत्रिम जोड़ों का बिल्कुल सही एलाइनमेंट होता है और इम्प्लांट को बिल्कुल सही जगह पर लगाया जा सकता है इसके कारण मरीज जल्द से जल्द चलने-फिरने लगता है और षीघ्र ही वह दर्द से राहत पा लाता है।

रेडियस ज्वाइंट सर्जरी हाॅस्पिटल, लखनऊ के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘ऑर्थएलाइन टेक्नोलाॅजी नेविगेशन प्रौद्योगिकी पर आधारित है। परंपरागत कंप्यूटर आधारित सर्जरी में सर्जन को विशाल कंसोल मंे देखना होता है, जबकि इसके विपरीत यह नई तकनीक बहुत आसान है और यह सर्जन को सर्जरी को सफलता पूर्वक करने के लिए सही समय पर फीडबैक देती है।’’ ‘आॅर्थएलाइन एक सरल, हथेली के आकार जैसे मोबाइल फोन का उपकरण है जो परिणाम में सुधार करता है, स्थिरता को बढ़ाता है, आॅपरेषन व अस्पताल में रहने के समय को कम करता है और रोगी के दर्द को कम करता है।

दुनिया भर में किये गये अध्ययनों से पता चलता है कि आॅर्थएलाइन टेक्नोलाॅजी की मदद से सर्जरी कराने वाले 94.9 प्रतिषत रोगियों में अन्य कम्प्यूटर असिस्टेड सर्जरी की तुलना मंे घुटने का सटीक अलाइनमेंट दो प्रतिषत ज्यादा हुआ। इसमें कम रक्त स्राव होता है, सर्जरी के बाद जटिलताओं को कम खतरा होता है और साथ ही साथ इस तकनीक की मदद से सर्जरी करने पर कम त्रुटियां होती हैं इस कारण मरीज को दोबारा ‘‘रिविजन’’ सर्जरी कराने की जरूरत नहीं पड़ती है।

डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘घुटना प्रत्यारोपण प्रक्रिया में इम्प्लांट कितना लंबा चलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि इंप्लांट हड्डी के साथ किस प्रकार जुड़ा हुआ है। दुर्भाग्य से, आज शहर में अधिकतर घुटना प्रत्यारोपण पुराने मैकेनिकल अलाइनमेंट उपकरणों के इस्तेमाल से किये जा रहे हैं, जो कमजोर होते हैं, जिसके कारण इसकी सफलता दर कम होती है।’’
कम्प्यूटर- असिस्टेड नेविगेशन सिस्टम में ऑपरेषन कक्ष में एक अलग कंप्यूटर डिस्प्ले की आवश्यकता होती है जिसे लार्ज- कंसोल नेविगेशन कहा जाता है। डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘इलेक्ट्रोनिक्स के छोटे उपकरणों के साथ, मौजूदा ऑपरेशन थियेटर को छोटा करने के लिए ‘ऑर्थएलाइन’ एक आदर्श समाधान है जिसमें रोगियों में कम संक्रमण की संभावना होती है।’’

यह किस प्रकार काम करता है
प्राकृतिक घुटने से डिवाइस को जोड़ने के बाद, सर्जन प्राकृतिक घुटने को केवल गति के इसके सामान्य रेंज में मूव कराता है। उसके बाद घुटने पर कटिंग इंस्ट्रुमेंटेषन की स्थिति का पता लगाने के लिए एल्गोरिदम डिवाइस सेंसर से सटीक मोषन ट्रैकिंग डेटा का उपयोग करता है। ‘ऑर्थएलाइन’ के सामने वाले पैनल पर डिसप्ले से सर्जन को उनके कटिंग इंस्ट्रुमेंट के सही समय पर पाॅजिषनिंग का पता चलता है जिससे कृत्रिम घुटने के लिए सटीक अलाइनमेंट सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।


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